उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान पर देश में सियासी हलचल
धनखड़ पर विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया और संविधान पर सवाल

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक हालिया कार्यक्रम में कहा कि लोकतंत्र में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका जैसी संस्थाओं को अपनी-अपनी सीमाओं में रहकर कार्य करना चाहिए। उनके अनुसार, शासन चलाने की जिम्मेदारी पूरी तरह से सरकार की होती है, जबकि अन्य संस्थाओं को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने संसद को सर्वोच्च बताते हुए कहा कि जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का निर्णय ही अंतिम माना जाना चाहिए। साथ ही, यह भी ज़रूर बताया कि यदि अदालतें कार्यपालिका के कार्यों में दखल देती हैं, तो वह संविधान की भावना के विपरीत है और इससे व्यवस्था में असंतुलन पैदा हो सकता है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया
धनखड़ के इस बयान पर विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस पार्टी ने इसे न्यायपालिका पर एक असाधारण हमला करार दिया है। वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि उपराष्ट्रपति का यह बयान संविधान की मूल संरचना पर सवाल उठाता है और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला है, जिससे लोकतंत्र कमजोर होगा। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार सभी संवैधानिक संस्थानों पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है और उपराष्ट्रपति के बयान इसी रणनीति का हिस्सा हैं।
सरकारी पक्ष और विशेषज्ञों की राय
सरकारी पक्ष ने उपराष्ट्रपति के बयान का समर्थन करते हुए कहा है कि उन्होंने केवल संविधान की मर्यादाओं की बात की है और सभी संस्थाओं को अपनी-अपनी सीमाओं में रहकर काम करना चाहिए। संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि उपराष्ट्रपति का बयान न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच संतुलन की आवश्यकता को दर्शाता है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे बयान संस्थाओं के बीच टकराव की स्थिति पैदा कर सकते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास संविधान द्वारा दी गई शक्तियां हैं और वह लोकतंत्र के संरक्षक हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उपराष्ट्रपति को निष्पक्ष रहना चाहिए और किसी पार्टी का प्रवक्ता नहीं बनना चाहिए।
लोकतांत्रिक संस्थाओं के बीच संतुलन प्रभावित
धनखड़ के बयान ने देश में कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के बीच शक्तियों के संतुलन पर नई बहस छेड़ दी है। यह विवाद संविधान की मूलभूत संरचना और लोकतंत्र की मजबूती से जुड़ा है। राजनीतिक दलों के बीच इस मुद्दे पर बहस जारी है और आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इसका समाधान किस दिशा में जाता है और क्या इससे देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं के बीच संतुलन प्रभावित होता है।
Also read: पीएम मोदी का सऊदी अरब दौरा, ऊर्जा और निवेश पर चर्चा
Get the Latest News, Hindi News, English News & Breaking Updates! Please stay connected with us on Facebook, Instagram, Twitter, YouTube, LinkedIn, and reach out. Don’t miss out on real-time updates—follow us now! 🚀 #LatestNews #HindiNews #EnglishNews #BreakingUpdates #Breakingnews
फेसबुक: https://www.facebook.com/fast2news/ इंस्टाग्राम: https://www.instagram.com/fast2news/