
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के Pahalgam के बैसरन वैली में हुए एक भीषण आतंकी हमले में कम से कम 28 लोगों की मौत हो गई। मारे गए लोगों में ज्यादातर भारत के अलग-अलग राज्यों से आए पर्यटक थे, जिनमें गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के साथ लोग अन्य देश के लोग शामिल हैं। इस हमले के पीछे संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ को बताया जा रहा है, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ माना जाता है। लेकिन साथ ही यह भी सच है कि इतना बड़ा हमला सरकार की सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र की गंभीर चूक को उजागर करता है, जिस पर अब देशभर में सवाल उठ रहे हैं।
Pahalgam में हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग
हमला मंगलवार की दोपहर तब हुआ जब दर्जनों लोग Pahalgam बैसरन की वादियों में घूमने गए थे। तभी कुछ आतंकी घने जंगलों से निकलकर अचानक आए और अपने हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। घटना स्थल तक सिर्फ पैदल या टट्टुओं के सहारे पहुंचा जा सकता है, जिससे सुरक्षा में बड़ी चूक मानी जा रही है।
राजनीतिक हलचल और सुरक्षा समीक्षा
हमले की जानकारी मिलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का दौरा बीच में ही छोड़ दिया और दिल्ली एयरपोर्ट पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और गृह मंत्री अमित शाह भी श्रीनगर पहुंचे और पुलिस कंट्रोल रूम में शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हमले को कायरता बताया और भरोसा दिलाया कि दोषियों को सज़ा दी जाएगी। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, “हमले में शामिल कोई भी बच नहीं पाएगा।”
पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय संदेह
Pahalgam आतंकी हमले के कुछ दिन पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर ने एक भाषण में कहा था कि “कश्मीर पाकिस्तान की गर्दन की नस है, और दुनिया की कोई ताकत इसे हमसे अलग नहीं कर सकती।” इस बयान को लेकर अब अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक सवाल उठा रहे हैं। भारत के पड़ोसी देशों समेत अमेरिका, रूस, ईरान, इज़राइल और संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने स्पष्ट किया कि “नागरिकों पर हमला किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है।”
स्थानीय प्रतिक्रिया और विरोध प्रदर्शन
Pahalgam और श्रीनगर समेत पूरी घाटी में हमले के विरोध में 35 सालों में पहली बार बंद देखा गया। अधिकतर दुकानों और पेट्रोल पंपों को बंद कर दिया गया। जम्मू, डोडा और श्रीनगर में पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन भी देखने को मिले, और हमले को अमरनाथ यात्रा को डराने की साज़िश बताया गया।
Pahalgam में पीड़ितों की पहचान और सहायता
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, हमले में 13 लोग घायल हुए, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है। मृतकों में नेवी अधिकारी विनय नरवाल और उनके परिवार के सदस्य भी शामिल हैं। राज्य सरकारों ने मृतकों के पार्थिव शरीर वापस लाने और घायलों के इलाज के लिए हेल्पलाइन नंबर और विशेष टीमें तैनात की हैं।
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