
Pahalgam Attack: मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 लोगों की मौत और 10 लोग घायल हो गए। इस हमले के बाद देश के कई हिस्सों में कश्मीरी छात्रों के खिलाफ माहौल तनावपूर्ण हो गया। पंजाब के पटियाला में एक कश्मीरी छात्र पर बुधवार रात हमला किया गया। छात्र ने बताया कि हमलावरों ने उसे पहचान कर कहा, “यह कश्मीरी है,” और फिर चाकू से हमला कर दिया। छात्र को गंभीर चोटें आईं और वह अभी भी सदमे में है।
डर और असुरक्षा का माहौल
हमले के बाद पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश से कश्मीरी छात्रों की शिकायतें सामने आईं। जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन (JKSA) को छात्रों के लिए हेल्पलाइन शुरू करनी पड़ी। कई छात्रों ने बताया कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं, मकान मालिक निकाल रहे हैं, और कुछ जगहों पर हमले भी हुए हैं। डर की वजह से कई छात्र कमरे में बंद रहने को मजबूर हैं।
पटियाला में हमला और पुलिस की कार्रवाई
पटियाला में नर्सिंग कॉलेज के एक छात्र पर 10 युवकों ने हमला किया। आरोपियों ने कहा, “यह कश्मीरी है, आतंकी है।” छात्र ने सफाई देने की कोशिश की लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनी। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि हमला शराब के नशे में हुआ आपसी विवाद था, लेकिन छात्र इसे अपनी कश्मीरी पहचान से जोड़ रहे हैं। हमले के बाद छात्र इलाज के बाद भी कमरे से बाहर नहीं निकल रहे हैं।
उत्तराखंड और अन्य राज्यों में डर का असर
उत्तराखंड में हिंदू रक्षा दल के एक नेता ने सोशल मीडिया पर कश्मीरी छात्रों को धमकाया। इससे घबराकर कई छात्र देहरादून छोड़कर वापस जम्मू-कश्मीर लौट गए। एक छात्र ने बताया कि उन्होंने दोस्तों से पैसे उधार लेकर टिकट खरीदी और भूखे-प्यासे घर पहुंचे। छात्र ने सवाल उठाया कि हर बार कश्मीरी छात्रों को ही क्यों निशाना बनाया जाता है।
प्रशासन का भरोसा और कदम
छात्र संगठनों की शिकायत के बाद उत्तराखंड पुलिस ने धमकी देने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और विवादित पोस्ट हटवाई। देहरादून पुलिस ने कहा कि करीब 1,200 कश्मीरी छात्रों के संस्थानों से संपर्क कर उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया गया है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने भी सभी राज्यों से छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि कश्मीरी भी देश के नागरिक हैं और आतंकवाद के खिलाफ हैं।
भविष्य और परीक्षा की चिंता
कई कश्मीरी छात्रों की परीक्षाएं नज़दीक हैं, लेकिन डर की वजह से वे परेशान हैं। कुछ के माता-पिता उन्हें वापस बुला रहे हैं, जबकि कुछ छात्रों का आखिरी सेमेस्टर चल रहा है, जिससे वे असमंजस में हैं। कई छात्रों ने कॉलेजों से परीक्षा में राहत की मांग की है। छात्रों ने कहा कि वे तभी लौटेंगे जब माहौल पूरी तरह सुरक्षित होगा। हमले, धमकियां और अफवाहों ने उनकी पढ़ाई और भविष्य को खतरे में डाल दिया है। ऐसे समय में समाज की जिम्मेदारी है कि वे कश्मीरी छात्रों को अपना समझें और नफरत या हिंसा को बढ़ावा न दें।
आदिल जैसे कश्मीरियों के बाद भी शक
पहलगाम हमले के दौरान एक कश्मीरी युवक, आदिल अहमद, ने बड़ी बहादुरी के साथ गोलियों की बौछार के बीच श्रद्धालुओं को सुरक्षित जगह पर पहुँचाया, लेकिन इसी कोशिश में वह खुद आतंकियों की गोली का शिकार हो गया। आदिल की मौके पर ही मौत हो गई। उसकी कुर्बानी ने साबित कर दिया कि आतंकवाद का मुकाबला धर्म या क्षेत्र देखकर नहीं होता, बल्कि इंसानियत की रक्षा के लिए होता है। आदिल की कहानी आज उन सभी धारणाओं को तोड़ती है जो कश्मीरियों को शक की नज़र से देखते हैं।
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